शिक्षा प्रणाली की कमियां का परिचय भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई कमियां हैं जो इसे एक सशक्त और व्यावहारिक प्रणाली बनने से रोकती हैं। पारंपरिक शिक्षण पद्धतियों पर अधिक जोर, रटने की प्रवृत्ति, और छात्रों को सृजनात्मक और आलोचनात्मक सोच से दूर रखने वाली पाठ्यक्रम संरचना मुख्य समस्याएं हैं। महेश की वास्तविक जीवन की कहानी महेश, एक छोटे गाँव का निवासी, भारतीय शिक्षा प्रणाली की कमियों का साक्षी है। सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान उसने अच्छे अंक तो प्राप्त किए, लेकिन उसे व्यावहारिक ज्ञान का अभाव रहा। जब उसने कॉलेज में प्रवेश किया, तो उसे महसूस हुआ कि उसके पास नौकरी के लिए आवश्यक कौशल नहीं हैं। भारतीय शिक्षा प्रणाली का Education System भारतीय शिक्षा प्रणाली को समझने के लिए हमें इसकी संरचना पर ध्यान देना होगा। इसमें Primary, secondary, और Higher Education शामिल हैं। बावजूद इसके कि शिक्षा का अधिकार Act लागू है, कई ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता काफी निम्न है। Job-Oriented Education System के परिणाम आज के समय में एक Job-Oriented Education System की आवश्यकता है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, जिससे छात्र रोजगार के लिए आवश्यक Skills नहीं सीख पाते। एक व्यावहारिक और रचनात्मक शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता भारत को एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है जो व्यावहारिक और रचनात्मक हो। छात्रों को केवल किताबों का ज्ञान देने के बजाय, उन्हें Projects, Workshops, और Internships के माध्यम से वास्तविक दुनिया के अनुभव देने की जरूरत है। महेश की यात्रा: लचीलेपन का एक पाठ महेश ने अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाया। उसने online courses और workshops के माध्यम से नई skills सीखी और खुद को उद्योग की जरूरतों के अनुसार तैयार किया। भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ताकि हर छात्र को उसकी क्षमताओं के अनुसार शिक्षा मिल सके और वे जीवन में सफल हो सकें। महेश की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि समस्याएं चाहे जितनी भी हों, उन्हें दूर करने का उपाय भी हमारे पास ही है।
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