अब राजेश के मुँह के आगे स्वीटी की गांड थी। राजेश ने हौले से उसकी शॉर्ट्स का बटन खोला और जाँघों से होते हुए शॉर्ट्स अलग निकाल दी। अब राजेश के ख्यालों की मल्लिका उसकी खुद की बेटी उसके आगे मादरजात नंगी खड़ी थी। नज़ारा देख राजेश का लंड फिर उठने लगा था लेकिन फिलहाल राजेश का प्लान कुछ और ही था। उसने पीछे से ही स्वीटी के चूतड़ फैला कर गांड चाटना चालू कर दिया। 2 मिनट गांड का छेद जीभ से कुरेदने के बाद उसने स्वीटी को आगे झुकने को कहा तो उसने दीवार के सहारा लेकर अपने पैर फैला लिए और गांड बाहर निकाल कर खड़ी हो गयी। इस पोज़ में खड़ी अपनी बेटी को 30 सेकंड निहार कर मन में उस जवानी की दाद देने के बाद राजेश ने आगे बढ़ कर स्वीटी की चूत पर जीभ रख दी। नन्ही सी चूत राजेश के होंठों में पूरी तरह ढक गयी। दाने पर जीभ की रगड़ पड़ते ही स्वीटी सीत्कार उठी। दीवार से उसके हाथ सरक गए और हल्की धम की आवाज़ के साथ उसका सिर दीवार से टकराया। आवाज़ सुन कर राजेश ने अपना मुँह हटाया और स्वीटी का हाल पूछा. जिस पर स्वीटी ने सिस्कारते हुए वापस चाटते रहने का हुक्म दिया और दोनों हाथों में अपने चूचे पकड़ कर मसलने लगी। बेटी की बेचैनी और तड़प देख राजेश मन ही मन मुस्कुराया और वापस स्वीटी की चूत चाटने लगा। वो दोनों चूतड़ों को फैला कर बारी बारी से चूत और गांड चाट रहा था। स्वीटी को मानो स्वर्ग का आनंद मिल रहा हो! उसकी ‘आह हहह … ओह्ह … ममम …’ से पूरा घर गूंज रहा था। उसे ऐसा मज़ा आज तक नहीं आया था।
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